वाराणसी महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की एम ए द्वितीय वर्ष की छात्रा श्वेता रॉय 'कनक' का कहना है की साकारात्मक्ता का मनुष्य जीवन मे...
वाराणसी महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ की एम ए द्वितीय वर्ष की छात्रा श्वेता रॉय 'कनक' का कहना है की साकारात्मक्ता का मनुष्य जीवन में बहुत बड़ा महत्व है। अगर मनुष्य इस महत्व को जान ले तो वह अपने जीवन के सारे काम बड़ी ही आसानी से कर सकता है। श्वेता ने बताया कि ईश्वर ने मनुष्य को बुद्धि दी है कल्पना करने की ताकत दी है और कल्पना ही यथार्थ बनती है ।
सब कुछ संभव है यदि हमारा नजरिया सकारात्मक बन जाए।सकारात्मक कल्पना जीवन को सुंदरतम् बना देती है। वही जो व्यक्ति सुंदर कल्पना को मन में बसाने की कोशिश नहीं कर सकता वह अच्छा जीवन भी नहीं जी सकता ।अक्सर जीवन में ऐसे लोग देखे जाते हैं जो कई बार इस बात का बहाना लेते हैं कि परिस्थितियां उनके प्रतिकूल थी इसलिए भी जीवन में बेहतर नहीं कर पाए अथवा जिस लक्ष्य तक पहुंचना चाहते थे उस लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाए हालांकि मैं भी अब तक के अपने जीवन में परिस्थितियों को ही प्रतिकूल बताती रही हूं। हां लेकिन मैं यह नहीं कहूंगी कि मैंने अपनी क्षमता और योग्यता के अनुसार बेहतर नहीं किया मैंने अपने प्रतिकूल परिस्थितियों में ,अपने बुरे वक्त में भी खुद को टूटने नहीं दिया सदैव खुद को मजबूत रखा और बेहतर करने का प्रयत्न किया। हां परंतु कुछ चीजें जो जीवन में और बेहतर करने में सहायक होती हैं। जैसे:-पारिवारिक प्रेरणा, प्रोत्साहन, स्नेह,और देखभाल, यदि बाल्यावस्था से किशोरावस्था तक ये सभी भाव मिले तो मेरे हिसाब से एक अच्छे व्यक्तित्व का निर्माण करने में हम सफल हो सकते हैं और कहीं ना कहीं मुझे यह भाव स्नेह और प्रोत्साहन नहीं मिल पाया और मैं उन सारी सुख सुविधाओं से वंचित रही जो मुझे मिलनी चाहिए थी परंतु उन सारी दुःखद परिस्थितियों में मैंने सदैव अपने से असहाय निर्धन बेबस लोगों को देखा और खुद को इसलिए मजबूत रखा कि उन लोगों के पास तो ना रहने का घर ना भोजन वस्त्र है फिर भी वह अपना जीवन यापन कर रहे हैं ,जबकि मेरे पास तो पर्याप्त वस्तुएं हैं फिर भी मैं किन्ही उदारवादी विचारों, भावनाओं, स्नेह और किंचित भावनाओं के लिए व्याकुल हताश हो रही हूं आज मैं परास्नातक द्वितीय वर्ष की छात्रा हूं एक अच्छे संस्थान से शिक्षा ग्रहण कर रही हूं मैंने अब तक के अपने जीवन सफर में कई ढेर सारी अवहेलनाएं, दुःखों, आरोप-प्रत्यारोप का सामना किया है जिससे कुछ तो मेरी गलतियों के लिए मुझे मिला परंतु कुछ से अधिक मुझे सहन करना पड़ा जिसकी मैं हकदार नहीं थी ।
फिर भी जहां मुझे लगा कि मैं वास्तव में गलत हूं वहां मैंने झुकना और माफी मांगना उचित समझा और मैंने अपनी गलतियां स्वीकार करके क्षमा भी मांगी और यह निरंतर आगे भी भविष्य में तक बना रहेगा। जिंदगी उथल-पुथल भरी होती है कई बार अपने पथ से भ्रमित भी हुई और समय रहते संभल भी गई और उसका परिणाम कहीं ना कहीं सकारात्मक आया हर व्यक्ति के अंदर कोई ना कोई गुण होता है परंतु समय रहते अपने गुणों को जो पहचान लेता है और उसे सही दिशा में खर्च करता है तो उसका परिणाम भी सकारात्मक आता है। जीवन में कई चुनौतियों को स्वीकार किया है मैंने कभी हार नहीं माना क्योंकि मेरे हिसाब से जब व्यक्ति हार मानना आरंभ कर देता है तो शरीर की शारीरिक-मानसिक प्रक्रियाएं ऐसे रसायनों का स्त्राव करती हैं जो व्यक्ति को निष्क्रिय निष्क्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। वहीं व्यक्ति जब हर परिस्थिति में ये नजरिया बना लेता है कि उसे जितना और हर हाल में अपने लक्ष्य तक पहुंचना है तो वहीं बाधाएं उसके लिए पुल का काम करती है और मैंने भली-भांति सीखा है कि असंभव कुछ नहीं होता सब संभव हो जाता है जब नजरिया सकारात्मक होती हैं। आज समाज में नकारात्मकता बेहद पूर्ण रूप से घर कर गई है लेकिन सकारात्मकता के साथ ही जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है ।।