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शराब की हलक से मन की नही शराबियों की बात

  सरकार की नजर में शराबी नहीं, इकोनॉमी वारियर्स हैं वो.....उनका सम्मान करिये वाराणसी।देश के एक  सच्चे सम्मानित शराबी को बेवड़ा  ...

 
सरकार की नजर में शराबी नहीं, इकोनॉमी वारियर्स हैं वो.....उनका सम्मान करिये
वाराणसी।देश के एक  सच्चे सम्मानित शराबी को बेवड़ा 
कहने वालों पर सरकार को रासुका लगवा देनी चाहिए।हकीकत में तो ये इकोनॉमी वॉरियर्स हैं। शराब राज्यों की अर्थव्यवस्था का एक मजबूत स्तंभ हैं।जिनको लोग बेवड़ा समझते हैं..हकीकत में तो वे  देश की अर्थव्यवस्था के चौथे स्तंभ हैं...,असली हीरो है परिवार की निःस्वार्थ भाव से बलि चढ़ाकर जितना देश के लिए एक शराबी सोचता है उतना देश का कोई भी राजनेता,प्रशासनिक अफसर या फिर मीडिया भी नहीं सोच सकता।हकीकत में इनका सम्मान होना चाहिए।इनके साथ दुर्व्यवहार करने वाले पुलिसकर्मियों को तो तुरन्त सस्पेंड कर देना चाहिए।इनका सम्मान न करने वाले जनता को दंडित करना चाहिए।कभी सोचा हैं अगर ये नहीं होंगे तो धरती से अपराध,अराजकता और कलह जैसी पवित्र चीज समाप्त हो जाएगी फिर सरकार हो या फिर पुलिस सब खाली हाथ ही मलते रह जाएंगे।जिन शराबियों का तिरस्कार किया जाता रहा है, वो ही सरकार की निगरानी में फिर से देश की अर्थव्यवस्था संभाल रहे हैं।बनारस में तो खाली बैठे प्रशासनिक अमले को सम्मानित शराबी काम भी देने लग गए हैं।शिवपुर से पहला रुझान भी आ गया है।लॉक डाउन में शराब पीने के बाद हुए विवाद में बदमाशों ने युवक को मौत के घाट उतार दिया है।शराबियों द्वारा जनसंख्या का दबाव कम करने का अन्य प्रयास भी जारी है।फील गुड.......
  ✍🏻 नरेंद्र  शर्मा✍🏻
              की कलम से