✍️ *फीस लेने की भूख किसी को इतना नीचे गिरा सकती है* *6 से 12 वर्ष* के स्कूली छात्रों से निजी स्कूल इन दिनों केवल इसलिए *1-1 घंटे* के *ऑनलाइन...
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*फीस लेने की भूख किसी को इतना नीचे गिरा सकती है*
*6 से 12 वर्ष* के स्कूली छात्रों से निजी स्कूल इन दिनों केवल इसलिए *1-1 घंटे* के *ऑनलाइन टेस्ट* ले रहे हैं कि वे यह कह सके कि उन्होंने *एक माह ऑनलाइन* पढ़ाई कराकर बच्चों की *परीक्षा* भी ले ली,अब तो उन्हें *फीस लेने का हक* हो गया है।
फीस लेनी है तो वैसे ही ले लो,इन *मासूमों पर यह जुल्म* तो मत करो।
क्या फीस के लोभ में इन मासूमों को *आंख,कान,रेडिएशन, मानसिक और शारिरिक रोगों* की भट्टी में नहीं झोंका जा रहा है।
6 से 12 वर्ष के इन मासूमों को क्यों दिन में *4 घंटे ऑनलाइन क्लास* के लिए कान में ईयर फोन लगाकर मोबाइल में आंखें गड़ाकर बैठना पड़ रहा है। फिर *3 घंटे व्हाट्सएप* पर *होम वर्क* करना पड़ रहा है।
यह सब करने के बाद अब *निजी स्कूलों* ने *फीस जमा* कराने के *मैसेज* भेजने शुरू कर दिए हैं।
👉 *अपने बच्चों को बचाइए*👈
*स्कूलों की ऑनलाइन क्लासेज उन्हें नेत्र रोग, कर्ण रोग, मनोरोग और शारीरिक रोगों के तरफ तेजी से धकेल रही है।*👇
कोरोना लॉक डाउन के चलते इन दिनों एक माह से हर घर में स्कूली बच्चे 3 से 4 घंटे मोबाइल ऑनलाइन क्लासेज और 2 से 3 घंटे मोबाइल के जरिए होमवर्क करने में गुजार रहे हैं।
यदि यही स्थिति रही तो वह दिन दूर नहीं जब बच्चे नेत्र, कर्ण, शारीरिक एवं मनोरोगों का जबरदस्त तरीके से शिकार हो जाएंगे।
कहां गए बाल अधिकारों की वकालत करने वाले सोशल एक्टिविस्ट??
✍🏻✍🏻True is kadwa